Chaturmas 2025:- आज यानी 6 जुलाई 2025 से चातुर्मास की शुरुआत हो चुकी है। इस दिन आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने तक विवाह, गृहप्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
📅 Chaturmas 2025 की अवधि:
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आरंभ: 6 जुलाई 2025 (देवशयनी एकादशी)
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समापन: 2 नवंबर 2025 (देवउठनी/प्रबोधिनी एकादशी)
🕉️ चातुर्मास क्या होता है?
चातुर्मास, संस्कृत शब्द “चतु: मास” से बना है, जिसका अर्थ होता है – चार महीने। यह अवधि भगवान विष्णु के शयन की होती है, जब वे संसारिक कार्यों से विरक्त हो योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस समय सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं।
🚫 चातुर्मास में वर्जित कार्य:
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विवाह और सगाई
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गृह प्रवेश
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यज्ञोपवीत संस्कार
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मूर्ति स्थापना या प्रतिष्ठा
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दीक्षा ग्रहण
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नए घर या वाहन की खरीद
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मांगलिक यात्रा या शुभारंभ
🙏 चातुर्मास में करें ये कार्य:
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व्रत उपवास
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मंत्र जाप और तपस्या
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धार्मिक ग्रंथों का पठन
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भगवान विष्णु एवं शिव की आराधना
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ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान
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सादा और सात्विक आहार का पालन
🛑 क्या न करें इस दौरान?
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तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन)
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चावल का सेवन देवशयनी एकादशी पर
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बैंगन, मूली, साग, परवल, शहद, गुड़, तेल का परहेज
📖 देवशयनी एकादशी का महत्व:
देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी या सौभाग्य एकादशी भी कहा जाता है।
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इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है।
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पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में इसका विशेष उल्लेख है।
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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
🌞 क्यों बदलता है देवशयन और जागरण का समय?
सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करते ही विष्णु शयन करते हैं, और तुला राशि में सूर्य के प्रवेश पर जागते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास की तिथि हर साल थोड़ी बदलती रहती है।
📌 निष्कर्ष:
चातुर्मास एक आध्यात्मिक साधना और संयम का काल होता है। इस दौरान शुभ कार्यों से विराम लेकर आत्मचिंतन, तप और भक्ति का पालन करना चाहिए। जब 2 नवंबर को देव जागेंगे, तब फिर से मांगलिक कार्य आरंभ होंगे।
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