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“Chaturmas 2025: जानें क्यों नहीं होते विवाह और मांगलिक कार्य, क्या है देवशयनी एकादशी का महत्व”

Chaturmas 2025

Chaturmas 2025

Chaturmas 2025:- आज यानी 6 जुलाई 2025 से चातुर्मास की शुरुआत हो चुकी है। इस दिन आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जिसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने तक विवाह, गृहप्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।


📅 Chaturmas 2025 की अवधि:


🕉️ चातुर्मास क्या होता है?

चातुर्मास, संस्कृत शब्द “चतु: मास” से बना है, जिसका अर्थ होता है – चार महीने। यह अवधि भगवान विष्णु के शयन की होती है, जब वे संसारिक कार्यों से विरक्त हो योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस समय सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं।


🚫 चातुर्मास में वर्जित कार्य:


🙏 चातुर्मास में करें ये कार्य:


🛑 क्या न करें इस दौरान?


📖 देवशयनी एकादशी का महत्व:

देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी या सौभाग्य एकादशी भी कहा जाता है।


🌞 क्यों बदलता है देवशयन और जागरण का समय?

सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करते ही विष्णु शयन करते हैं, और तुला राशि में सूर्य के प्रवेश पर जागते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास की तिथि हर साल थोड़ी बदलती रहती है।


📌 निष्कर्ष:

चातुर्मास एक आध्यात्मिक साधना और संयम का काल होता है। इस दौरान शुभ कार्यों से विराम लेकर आत्मचिंतन, तप और भक्ति का पालन करना चाहिए। जब 2 नवंबर को देव जागेंगे, तब फिर से मांगलिक कार्य आरंभ होंगे।

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