ISRO-NASA NISAR Satellite Launch:- 30 जुलाई 2025 को भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के संयुक्त प्रयास से विकसित NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक ISRO-NASA NISAR Satellite Launch किया गया।

यह $1.5 बिलियन की लागत वाला उपग्रह मिशन वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन, कृषि निगरानी और आपदा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रहा है। NISAR दुनिया का पहला ऐसा पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है जिसमें डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है — इसमें NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड रडार शामिल है।
NISAR:-
यह उपग्रह 2393 किलोग्राम वजनी है और इसे ISRO के GSLV रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा गया। यह हर 97 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करेगा और हर 12 दिनों में सभी भूमि और बर्फीले क्षेत्रों का उच्च रिज़ोल्यूशन इमेजिंग करेगा। इसका उद्देश्य सबसे सूक्ष्म बदलावों — चाहे वो हिमालय की ग्लेशियरों की गति हो, कृषि भूमि की स्थिति या भूकंप से पहले की धरती की हलचल — को मापना है।

NISAR से प्राप्त डेटा पूरी तरह से निःशुल्क और लगभग रीयल-टाइम में उपलब्ध होगा। इससे भारत को बाढ़, सूखा, भूस्खलन जैसी आपदाओं की भविष्यवाणी में सुधार करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह किसानों को फसल की निगरानी और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में भी सहायता करेगा।
इस मिशन के चार चरण हैं: लॉन्च, डिप्लॉयमेंट, कमीशनिंग और साइंस ऑपरेशन। डिप्लॉयमेंट चरण में JPL/NASA द्वारा तैयार 12 मीटर का रिफ्लेक्टर 9 मीटर तक फैलाया जाएगा। 90 दिनों की कमीशनिंग के बाद, साइंस ऑपरेशन फेज शुरू होगा जो मिशन के पूरे जीवनकाल तक चलेगा।
यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए वैश्विक कल्याण की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। भारत ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वह पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक नवाचार में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
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Note:- This information only based on media reports for more detail please visit official site of ISRO https://science.nasa.gov/mission/nisar/
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